khas khabar
02 अप्रेल , 2010
चंडीगढ। आज भी कई गांवों में खाप जैसी पंचायतों के फैसले चलते हैं। गांववालों को भी इन फैसलों को मानना पडता है। कोर्ट द्वारा दिया गया मनोज-बबली हत्याकांड से इन पंचायतों को सबक मिलता है ताकि कोई भी पंचायत ऎसे फैसले लेने से पूर्व सोचे। हरियाणा में यह पहली बार हुआ जब अदालत ने मनोज-बबली हत्याकांड के दोषियों को सजा सुनाई है।
इस मामले में कोर्ट ने सभी को सजा सुनाई। गौरतलब है कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पंजाब में गए सालों खाप जैसी पंचायते चली हैं, जिससे कई प्रेमी युगलों को गांव छोडना पडा या फिर उनकी हत्या या आत्महत्या होती है। कुछ समय पहले जींद जिले में ऎसे ही एक समान गोत्र में विवाह मामले में उच्चा न्यायालय के अधिकारियों तथा पुलिस व प्रशासन के लोगों की मौजूदगी में वेद मोर तथा उसकी पत्नी सोनिया को पंचायत के इशारे पर गांव वालों ने मार दिया था।
ऎसे एक या दो ही नहीं कई मामले में सुनने में मिलते हैं जिनसे यह पता चलता है कि न्यायपालिका से कोई भी नहीं डरता। न्यायपालिका भी खाप पंचायतों के ऎसे तुगलकी फरमानों पर चिंता व्यक्त करते हुए इस आशय की टिप्पणी दे चुके हैं कि समानांतर न्याय प्रणाली का प्रचलन अत्यंत भयंकर है। सरकार को इन खाप जैसी पंचायतों को खिलाफ बडा कदम उठाना चाहिए।
शनिवार, 3 अप्रैल 2010
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