Dainik Bhaskar
Wednesday, Mar 31st, 2010, 12:32 pm [IST] + comment | +Share
नई दिल्ली । एयर होस्टेस के उत्पीड़न से लेकर मंगलौर के पब में युवतियों पर हमले जैसे तमाम मामलों में राष्ट्रीय महिला आयोग हमेशा नारी उत्पीड़न के खिलाफ खड़ा नजर आता है। लेकिन इसके विपरीत खाप पंचायतों के स्त्री विरोधी रुख के मामलों में सिर्फ कड़े कानून की मांग के अलावा कुछ नहीं कर पाया है।
माकपा की राज्यसभा सदस्य वृंदा करात का कहना है कि खाप पंचायतों के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग और केंद्र सरकार दोनों का रवैया सुस्त है। खाप पंचायतों के गोत्र विवाद में जितनी गंभीरता से आयोग को कदम उठाना चाहिए, उसने ऐसा नहीं किया। करात ने कहा कि सरकार को खाप पंचायतों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए फौरन कानून बनाना चाहिए।
महिला आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में खाप पंचायत के फैसलों के खिलाफ कई महिलाएं शिकायत दर्ज करा चुकी हैं। पर आयोग खाप पंचायतों के किसी भी मामले में अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पाया है। कई शिकायतों में तो पहली सुनवाई तक नहीं हो पाई है।
हालांकि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास कहती हैं कि खाप पंचायतों में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय के मामलों की हरियाणा सरकार से जानकारी मांगी गई है। महिला आयोग ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से कार्रवाई रपट की भी मांग की है। व्यास ने साफ किया कि खाप पंचायतों द्वारा उत्पीड़न के खिलाफ कानून बनाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
शनिवार, 3 अप्रैल 2010
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